History of sonbhadra

अपना सोनभद्र




मार्च 1989 को सोनभद्र ज़िला मिर्ज़ापुर से अलग होकर अपने अस्तित्व में आया था।।
इसका मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज है जो अंग्रेज अधिकारी फ्रेडरिक रोबर्ट के नाम पर पड़ा है।
सोनभद्र एक मात्र ऐसा ज़िला है जो 4 राज्यो से घिरा हुआ है।
उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है सोनभद्र।
ऐसी मान्यता है कि इसका नामकरण यहाँ बहने वाली नदी सोन के नाम पर पड़ा है।
ऐसी भी मान्यता है कि प्राचीन राजा पुत्रक ने अपनी रानी पाटली के लिए सोनभद्र का निर्माण किया था जिसका नाम ग्रामपुत्र था। ग्राम संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ village है तथा पुत्र son को दर्शाता है।
490 BC में राजा अजातशत्रु अपनी राजधानी मगध से राजगढ़ पर्वतीय तथा दुर्गम क्षेत्र मे लाना चाहते थे ताकि शत्रुओ से बचा जा सके।
गौतम बुद्ध भी सोनभद्र से होकर गुजरे थे। उन्होंने सोनभद्र के उज्जवल भविष्य की भविष्यवाणी भी की थी और साथ में आग व बाढ़ से इसकी तबाही की भी भविष्यवाणी की थी।
सोनभद्र विंध्य और कैमूर पर्वत श्रंखला के बीच पड़ता है । इसकी सुंदरता और पर्वतीय पर्यटक स्थल होने के कारण प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने सोनभद्र को स्विट्ज़रलैंड ऑफ़ इंडिया की संज्ञा दी थी जब वह रिहंद डैम का उदघाटन करने आये थे।
सोनभद्र को एनर्जी कैपिटल ऑफ़ इंडिया भी कहते हैं क्योंकि यहाँ सबसे ज्यादा पावर प्लांट हैं।
यहाँ कुल मिलाकर लगभग 6 पावर प्लांट हैं जिनसे करीब 9940 MW बिजली का उत्पादन होता है जो भारत में कही नहीं होता।
फिर भी सरकार की उदासीनता के कारण यहाँ के कई गाँव बिजली से अछूते हैं अभी तक।
सोनभद्र में 2 बड़े सीमेंट फैक्ट्री डाला व चुर्क भी हैं ।
सोनभद्र उत्तर प्रदेश को राजस्व देने वाला दूसरा सबसे बड़ा ज़िला भी है।
फिर भी सोनभद्र भारत के 250 अतिपिछड़े जिलों में से एक है।
सोनभद्र की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
महाभारत युद्ध के समय जरासंध ने कई कैदियों को सोनभद्र में कैदी बनाकर भी रखा था।
सोनभद्र तीसरी शताब्दी में नागवंशी साम्राज्य की राजधानी भी रही थी जो 9वीं शताब्दी तक ध्वस्त हो गयी।
देवकी नंदन खत्री का प्रसिद्ध उपन्यास "चंद्रकांता" के विजयगढ, चुनारगढ़ और नौगढ़ भी सोनभद्र के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और यहाँ के साम्राज्य पर आधारित थी।।।
सोनभद्र में ओबरा के पास सोन नदी के पार "अगोरी का किला" भी है जहां माँ काली का प्रसिद्द मंदिर है।
अगोरी का किला खरवार और चंदेल साम्राज्य का निवास स्थान था।
यही पर राजा मोल्गत और वीर लोरिक के बीच युद्ध हुआ था जिसमे वीर लोरिक ने राजा मोल्गत को मार दिया था। सोन इको पॉइंट पर इसके मनोरम दृश्य भी हैं।
सोन नदी के बीच में हाथी(कर्मामेल) की आकृति का एक बड़ा पत्थर भी है जो राजा मोल्गत से सम्बंधित है।
सोनभद्र का विशालतम इतिहास, मंदिर, पर्यटक स्थल, नदियाँ इस पर गर्व करने का मौका देते हैं .!!

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