काशी की रात - वाह क्या बात

काशी की रात वाह क्या बात
 तो सोने के लिए है , यह बात सिर्फ घड़ी देखने वालों के साथ होगी धर्मानुरागी बनारसी हुआ तो काशी विश्वनाथ । दरबार या संकट मोचन समेत देवालयों में शयन आरती और कालभैरव मंदिर में देर रात बाबा को अइभंगी अंदाज में मंत्रों के बीच सुला कर ही घर जाएगा । संगीत के रसिया के लिए महफिल जमाने का ठीहा पूरे साल कहीं न कहीं मिल ही जाएगा । वास्तव में कला के शहर के लिए क्या रात और क्या दोपहर , इसे तो बस गुनगुनाने , सुनने और सुनाने का बहाना चाहिए । हिंदी के महीने से शुरूआत करें तो चैत्र में पूरे छह दिनों तक पूरी रात चलने वाला संगीत समारोह तो सावन में शीतला घाट की सीढ़ियों पर सात दिनों तक मातारानी के भजन गुनगुनाते या भादो में छह दिनी कुष्मांडा संगीत समारोह में गीत - नृत्य पर झूमते पूरी रात बीत जाएगी । मेलते हैं साक्ष्य , श्रमसाधक कबीर ने भी करघा चला किया कहानी , सनने आते  __|o.p  इंडियन_फ़ोटो

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